80 लाख आबादी अब चौराहों पर 10 लोग भी नहीं दिखते
काबुल में रह रहे सीनियर जर्नलिस्ट ने बताया वहां का आंखों देखा हाल
11 काबुल तो पहचान में नहीं आ रहा। लोग घबराए हुए हैं। वे तालिबान से डर रहे हैं। घरों से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं हो रही। किसी को नहीं पता कि उसके साथ अगले दिन क्या होने वाला है। दोपहर के करीब साढ़े तीन बजे हैं। शहर की जनसंख्या 70 से 80 लाख है।
लेकिन इस वक्त गलियां-सकड़ें सूनी हैं। ऐसा लगता है सब कहीं चले गए। शहर की प्रमुख जगहों पर 10 लोग भी नहीं दिख रहे। मैं खुद एक जगह छिपा हुआ हूं। तालिबान के लड़ाके घर-घर जा रहे हैं, लोगों के बारे में पूछ रहे हैं। जिसे मन किया, उसे अपने साथ ले जा रहे हैं। किसी को नहीं पता कि उन लोगों को कहां ले जाया जा रहा है। सबसे ज्यादा बुरा हाल महिलाओं का है, जिन्होंने तालिबान के पिछले शासन में जुर्म देखे हैं।
पूरे शहर में इस वक्त केवल एक ही जगह भीड़ है, वो भी काबुल एयरपोर्ट पर। बिना पासपोर्ट और वीजा के अफगानी लोग एयरपोर्ट पर डेरा डाले हुए हैं। वे किसी भी फ्लाइट में बैठने को तैयार हैं। दुनिया के किसी भी दूसरे हिस्से में जाने को तैयार हैं। कई अफगानी लोगों को भारत से मदद की उम्मीद है।
यहां लोगों को सबसे ज्यादा हैरानी इस बात से है कि आखिरी कैसे साढ़े तीन लाख अफगानी सैनिकों ने तालिबान के आगे हथियार डाल दिए। अमेरिका दावा करता रहा कि उसने अफगान फोर्स को ट्रेनिंग दी है, लेकिन ये सैनिकों तो लड़े ही नहीं। भाग खड़े हुए।
इस वक्त अफगानिस्तान के हर राज्य में अराजकता है। कोई लीडरशिप नहीं है। कुछ समय पहले तक हजारों नेता दिखते थे, अब कोई नहीं है। किसी को नहीं पता मदद पाने के लिए किसके पास जाएं। तालिबान को भी नहीं पता कि देश चलाने के लिए लोगों को दोबारा काम पर कैसे बुलाया जाए। शासन, राजकाज और इकॉनमी की सारी व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। पता नहीं तालिबान इसे सुधार पाएगा या नहीं।
निष्कर्ष
आशा है आपको यह समझ में आ गया होगा। इस लेख में, हमने आपको 80 लाख आबादी अब चौराहों पर 10 लोग भी नहीं दिखते। के बारे मे बताया। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो।
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