जैवलिन थ्रो में भारत का नाम। वर्ल्ड रिकॉर्ड
जैवलिन थ्रो में भारत का नाम के बारे मे।
कुछ दिनों पहले तोक्यो ओलिंपिक्स में नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो स्पर्धा में भारत के लिए गोल्ड जीतकर देश का परचम फहराया था। और अब तोक्यो शहर में चल रहे पैरालिंपिक्स में भारत के पैरा ऐथलीटों ने एक दिन में जैवलिन की अलग-अलग स्पर्धा में कुल तीन पदक जीतकर इस खेल में भारत के वर्चस्व पर ठप्पा लगाया।
पहली बार पैरालंपिक्स में भाग ले रहे सुमित अंतिल ने एफ64 स्पर्धा में कई बार अपना ही वर्ल्ड रेकॉर्ड तोड़ा। जबकि अनुभवी देवेंद्र झाझरिया ने एफ46 स्पर्धा में अपना तीसरा पदक सिल्वर के रूप में जीता। वहीं सुंदर सिंह गुर्जर ने झाझरिया की स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।
तीन बार बेहतर किया रेकॉर्ड
ऐथलेटिक्स में दिन के स्टार 23 साल के सुमित रहे। हरियाणा के सोनीपत के सुमित ने अपने पांचवें प्रयास में 68.55 मीटर दूर तक भाला फेंका जो दिन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और एक नया वर्ल्ड रेकॉर्ड था।
2015 में मोटरबाइक दुर्घटना में उन्होंने बायां पैर घुटने के नीचे से गंवा दिया था। बल्कि उन्होंने 62.88 मीटर के अपने ही पिछले वर्ल्ड रेकॉर्ड को दिन में तीन बार बेहतर किया। हालांकि उनका अंतिम थ्रो 'फाउल' रहा।
उनके थ्रो की सीरीज 66.95, 68.08, 65.27, 66.71, 68.55 और फाउल रही। एक अन्य भाला फेंक ऐथलीट संदीप चौधरी (एफ64) फाइनल्स में चौथे पर रहे।
झाझरिया ने जीता तीसरा पदक
एथेंस (2004) और रियो (2016) में गोल्ड जीतने वाले 40 वर्षीय झाझरिया ने एफ46 वर्ग में 64.35 मीटर के साथ अपना पिछला रेकॉर्ड तोड़ा और सिल्वर के रूप में पैरालिंपिक्स अपना कुल तीसरा मेडल जीता।
झाझरिया जब आठ साल के थे तब दुर्घटनावश बिजली की तार छू जाने से उन्होंने अपना बायां हाथ गंवा दिया था। वहीं गुर्जर ने 64.01 मीटर भाला फेंका जो उनका इस सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। | जयपुर के इस 25 वर्षीय ऐथलीट ने 2015 में एक दुर्घटना में अपना बायां हाथ गंवा दिया था। एफ46 में ऐथलीटों के हाथों में विकार। और मांसपेशियों में कमजोरी होती है।
निष्कर्ष
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