एक सितंबर से 9-12वीं के स्कूल खुलेंगे, कॉलेज भी।

17 महीने के बाद स्कूल और कॉलेज जाने का दिन।
दिल्ली में एक सितंबर से स्कूल, यूनिवर्सिटी, कॉलेज और कोचिंग संस्थान खुल सकेंगे। स्कूल खोलने को लेकर बनी एक्सपर्ट कमिटी की सिफारिशों के आधार पर दिल्ली आपदा प्रबंधन अथॉरिटी (डीडीएमए) ने शहर में शिक्षण गतिविधियों को फिर से शुरू करने की मंजूरी दे दी है।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने डीडीएमए में लिए गए फैसलों के बारे में बताया कि स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटरों को चरणबद्ध तरीके से खोला जाएगा। पहली सितंबर से 9वीं से 12वीं क्लास के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल और कोचिंग सेंटर खुलेंगे। यूनिवर्सिटी व कॉलेजों को भी एक बार फिर से खोलने की इजाजत दी गई है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि पूरे एहतियात के साथ धीरे-धीरे स्कूलों को खोला जा रहा है, ताकि पढ़ाई के नुकसान को कम किया जा सके। हमें जिंदगी को वापस पटरी पर भी लाना है और बच्चों की सेहत और पढ़ाई; दोनों का ध्यान रखना है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अब दिल्ली और देशभर में कोरोना के
केस कम हो रहे हैं। कई हफ्तों से संक्रमण दर 0.10 से नीचे है। ऐसे में डीडीएमए में सभी एक्सपर्ट सहमत थे कि शिक्षण गतिविधियों को पटरी पर लाना चाहिए। स्कूल बंद रहने से पिछले डेढ़ साल में बच्चों की पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ है। ऑनलाइन एजुकेशन कभी भी ऑफलाइन का विकल्प नहीं हो सकती है।
तीन चरणों में खुलेंगे स्कूल।
एक्सपर्ट कमिटी ने तीन चरणों में स्कूल खोलने की सिफारिश की है। 1 सितंबर से 9 से 12वीं के स्कूल खोले जाएंगे। 8 सितंबर से छठी से आठवीं के लिए स्कूल खोलने की सिफारिश है।
कमिटी का मानना है कि दो चरणों में स्कूल खोलने के बारे में आने वाले फीडबैक के आधार पर शिक्षा विभाग प्राइमरी व प्री प्राइमरी के बारे में फैसला ले। उपमुख्यमंत्री का कहना है कि सीनियर क्लासेज के स्कूल खुलने के बाद प्रोटोकॉल का कैसे पालन होता है और क्या स्थिति रहती है, इसके आधार पर बाकी क्लासेज के बारे में फैसला लिया जाएगा।
किसी की नहीं लगेगी ऐबसेंट।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए पैरंट्स की मंजूरी जरूरी होगी। पैरंट्स की मंजूरी नहीं है तो किसी बच्चे को स्कूल बुलाने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
अगर स्टूडेंट स्कूल नहीं आता तो उसके बदले में ऐबसेंट नहीं लगाई जाएगी। सरकार ने विश्लेषण किया है कि 5 राज्यों ने नर्सरी से 12वीं तक के स्कूल खोले हैं। करीब एक दर्जन राज्य हैं, जिन्होंने ने छठी से 12वीं के स्कूल खोले हैं। बाकी जगह 9 से 12वीं के स्कूल
खुले हैं। लगभग सभी जगह स्कूल खुल चुके हैं। ऑनलाइन क्लासेज चलती रहेंगी दिल्ली सरकार ने साफ कर दिया है कि ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन क्लासेज भी चलेंगी। स्कूल ऑनलाइन क्लासेज के लिए मना नहीं कर सकेंगे। प्रिंसिपल को क्लासरूम की लिमिट के आधार पर बनेगा टाइम टेबल बनाना होगा।
क्लासरूम में जितने स्टूडेंट्स के लिए सिटिंग कैपिसिटी है, उसके आधार पर यह देखा जाएगा कि कितने बच्चों को बुलाया जा सकता है ताकि सोशल डिस्टेसिंग का पूरी तरह से पालन हो। जिन स्कूलों में मॉर्निंग व ईवनिंग शिफ्ट चलती है, उनमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मॉर्निंग शिफ्ट में स्टूडेंट्स के लास्ट ग्रुप के जाने और ईवनिंग शिफ्ट के स्टूडेंट्स के पहले ग्रुप के आने के बीच कम से कम एक घंटे का गैप जरूर हो।
70% पैरंट्स स्कूल खोलने के पक्ष में।
दिल्ली सरकार ने स्कूल खोलने के लिए पैरंट्स से सुझाव मांगे थे। 70 फीसदी से अधिक अभिभावकों का मानना था कि स्कूलों को दोबारा खोला जाए। अन्य पैरंट्स ने भी स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोलने के लिए सुझाव भेजे थे। स्कूल न खोलने के पक्ष में बहुत कम लोग थे। स्कूल मैनेजमेंट ने फैसले को सराहा
स्कूल प्रबंधन ने भी डीडीएमए और सरकार के फैसले ।
को सराहा है। वीएसपीके स्कूल एजुकेशन सोसायटी के चेयरमैन एस.के.गुप्ता का कहना है कि स्कूल खोला जाना बहुत जरूरी है, क्योंकि 17 महीनों में शिक्षा का बहुत ज्यादा नुकसान हो चुका है। अब बच्चों की पढ़ाई को पटरी पर लाने का सही समय आ गया है। प्राइवेट स्कूलों की एक्शन कमिटी के जनरल सेक्रेटरी भरत अरोड़ा का कहना है कि स्कूलों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार था। स्कूल सभी जरूरी सुरक्षा उपायों व गाइडलाइंस को फॉलो करेंगे।
पढ़ाई लिए खुश मगर सेफ्टी के लिए डरे भी हैं पैरंट्स।
विस, नई दिल्ली: स्कूल खोलने के फैसले से पैरंट्स उलझन में हैं। कोविड के डर से कई पैरंट्स रुककर बच्चों को भेजने की तैयारी में हैं। जिन स्टूडेंट्स को ऑनलाइन क्लासेज की सुविधाएं ना हो पाने की वजह से पढ़ाई में दिक्कत हो रही थी, वे और उनके पैरंट्स इस फैसले से खुश है।
ऑल इंडिया पैरंट्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट अशोक अग्रवाल कहते हैं, उम्मीद है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चे और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के बच्चे स्कूल अच्छी तादाद में जाएंगे क्योंकि वे स्कूल खुलने का इंतजार कर रहे थे। स्कूलों के बंद होने से एजुकेशन सिस्टम पर नेगेटिव असर पड़ रहा था।
वहीं, दिल्ली पैरंट्स असोसिएशन की प्रेजिडेंट अपराजिता गौतम कहती हैं, कई राज्यों में स्कूलों को खोले जाने के नकारात्मक परिणाम हमारे सामने हैं। अब अगर सरकार ने स्कूल खोलने का फैसला कर ही लिया है तो उसे और स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कोर्ट में ऐफिडेविट देकर लेनी चाहिए। सरकार इमरजेंसी नंबर जारी करे, हर शिकायत पर एक्शन ले।
निष्कर्ष
आशा है आपको यह समझ में आ गया होगा। इस लेख में, हमने आपको एक सितंबर से 9-12वीं के स्कूल खुलेंगे, कॉलेज भी। के बारे मे बताया। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो।
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