ऑडी हो चाहे मर्सिडीज या टाटा, सबको बनाने होंगे 4 माह बाद बायो ईंधन वाले इंजन।
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने स्पष्ट किया।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि। वह अगले तीन से चार महीनों में एक आदेश जारी करेंगे। जिससे कार निर्माताओं के लिए वाहनों में 'फ्लेक्स फ्यूल इंजन' लगाना अनिवार्य हो जाएगा।
गडकरी ने कहा कि वह चाहते हैं। कि देश स्थानीय रूप से उत्पादित एथेनॉल की ओर बढ़े और पेट्रोल-डीजल की खपत से छुटकारा मिले। पुणे में एक फ्लाईओवर का शिलान्यास करते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि।
मैं अगले तीन से चार महीने में एक आदेश जारी करने जा रहा हूं। जिसमें बीएमडब्ल्यू मर्सिडीज से लेकर टाटा और महिंद्रा तक के कार निर्माताओं को फ्लेक्स इंजन बनाने के लिए कहा जाएगा।
बजाज और टीवीएस कंपनियों को अपने वाहनों में फ्लेक्स इंजन लगाने के लिए कहा गया है। और यह भी निर्देश दिया है। कि जब तक वे ऐसा न करें तब तक उनसे संपर्क न करें।
फ्लेक्स ईंधन वास्तव में गैसोलीन और मेथनॉल या इथेनॉल के संयोजन से बना एक वैकल्पिक ईंधन है। गडकरी ने यह भी कहा कि मैंने सभी कार निर्माताओं को संगीत वाद्ययंत्र की आवाज का उपयोग करके हॉर्न बनाने का आदेश दिया है।
प्रदूषण भी होगा कम, पैसे की बचत भी होगी।
जैव ईंधन क्या है?
जैव ईंधन को वैकल्पिक ईंधन कहा जाता है। जैव ईंधन में सीएनजी और इथेनॉल जैसे ईंधन शामिल हैं। इस प्रकार के ईंधन में, दो ईंधनों को एक साथ मिलाया जाता है। ताकि इसे वाहनों में उपयोग के लिए उपयुक्त बनाया जा सके।
उदाहरण के लिए, बायो-सीएनजी में हाइड्रोजन मिलाने से हाइड्रो-सीएनजी का उत्पादन होता है। जो एक वैकल्पिक ईंधन है।
यह किस चीज़ से बना है? इथेनॉल मूल रूप से गन्ने से बनाया जाता है। लेकिन अन्य शर्करा से भी बनाया जाता है। भारत में चावल, गेहूं, जौ, मक्का और ज्वार जैसे अनाज से इथेनॉल उत्पादन को मंजूरी दी गई है।
अमेरिका में, इथेनॉल मकई से बनाया जाता है। जबकि ब्राजील में इसे चीनी से बनाया जाता है। बायोडीजल वनस्पति तेलों और पशु वसा से बनाया जाता है। बायोगैस जानवरों के गोबर से बनाई जाती है।
सरकार इसकी पैरवी क्यों कर रही है?
सरकार जैव ईंधन को बढ़ावा दे रही है। क्योंकि डीजल और पेट्रोल के अलावा ईंधन का दूसरा विकल्प होगा। इस समय देश में जितनी डीजल पेट्रोल की खपत होती है।
उसमें से अधिकांश को विदेशों से लाने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च किया जाता है। वहीं अगर एथनॉल जैसे ईंधन का इस्तेमाल वाहनों में किया जाता है। तो यह रकम विदेशी कंपनियों के पास जाने की बजाय किसानों की जेब में जाएगी।
एनबीटी समझ में आता है। देश की विदेशी मुद्रा।
क्या इससे प्रदूषण पर भी असर पड़ेगा? जैव ईंधन वातावरण में प्रदूषण की मात्रा को कम करते हैं। सरकार चाहती थी कि देश में प्रदूषण का स्तर 130 ग्राम प्रति किलोमीटर कार्बन डाइऑक्साइड तक कम किया जाए। लेकिन अब ऐसे जैव ईंधन के उपयोग से इनकी मात्रा 120 ग्राम प्रति किलोमीटर तक आ सकती है।
निष्कर्ष
आशा है आपको यह समझ में आ गया होगा। इस लेख में, हमने आपको ऑडी हो चाहे मर्सिडीज या टाटा, सबको बनाने होंगे 4 माह बाद बायो ईंधन वाले इंजन। के बारे मे बताया। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो।
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