गौतम गंभीर ने कहा, पाकिस्तान से बातचीत में धोखा मिला।
तालिबान से बात का मतलब ये नहीं कि हम उन्हें मान्यता दे रहे हैं'
बीजेपी सांसद और पूर्व भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर ने टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार के साथ खास वातचीत की । उन्होंने देश -दुनिया के अलग-अलग मुद्दों पर भी अपना पक्ष रखा। तालिबान के सवाल पर गंभीर ने कहा कि वातचीत करने का मतलव ये नहीं है कि आप उन्हें मान्यता देंगेः
1. तालिबान संग बातचीत क्या आतंक पर भारत की जीरो टॉलरेंस नीति पर फिट बैठती है?
बातचीत में शामिल होने का मतलब यह नहीं है कि हम उन्हें मान्यता देंगे। हम एक आत्मनिर्भर देश हैं। और हमारे पास अपनी रक्षा करने की क्षमता है। अगर पाकिस्तान और चीन की नीति हमें बाधित करने की है तो रहने दीजिए। आतंकवाद के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति आगे भी जारी रहेगी। मुझे नहीं लगता कि हमें तालिबान को मान्यता देने की कोई जरूरत है।
2. अगर तालिबान से बात हो सकती है तो पाकिस्तान से क्यों नहीं?
हमने बरसों से देखा है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत में शामिल होने से हमें क्या मिला? हमें केवल धोखा दिया गया है। एक समय आया जब भारत ने सोचा कि यह कार्रवाई करने का समय है।
3. क्या अब आतंकवाद नहीं बढ़ेगा?
यह नहीं वढ़ेगा। यह तभी रुकेगा जव हम खुद को मजवूत वनाएंगे। किसी और को कावू में करना हमारे हाथ में नहीं है। ॥
4. लेकिन मजबूत होने के बावजूद गलवान में झड़प हुई।
जिस तरह से हमने चीन के खिलाफ प्रतिक्रिया दी, शायद पहले की सरकारों ने उस तरह से काम नहीं किया।
5. तो क्या हमें कश्मीर में अलगाववादियों से बात करनी चाहिए?
मेरे लिए यह वहुत जरूरी है कि अगर आप खुद को हिंदुस्तानी कहते हैं, तो वातचीत होनी चाहिए। अगर वे खुद को हिंदुस्तानी स्वीकार नहीं करते हैं, तो इसकी कोई जरूरत नहीं है।
यह सभी पर लागू होता है, चाहे वह अलगाववादी हो या कोई राजनीतिक दल। अगर वे देश को आगे ले जाना चाहते हैं, तो उनसे वात करने में कोई हर्ज नहीं है।
6. देश में ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने तालिबान का स्वागत किया है? क्या आप उनसे सहमत हो ?
यह एक चौंकाने वाला बयान है । इसके आगे मैं कुछ नहीं कह सकता। जो इसकी तुलना स्वतंत्रता संग्राम से कर रहे हैं उन्हें वहां जाकर देखना चाहिए कि क्या हो रहा है। मैं इतना कहूंगा कि यह गलत है और मैं ऐसे बयानों का समर्थन नहीं करता ।
7. आपके पूर्व क्रिकेट सहयोगी शाहिद अफरीदी ने उन्हें अच्छा तालिबान बताया और कहा कि वे अच्छी सरकार बनाएंगे।
शाहिद अफरीदी को हम इतनी अहमियत क्यों दे रहे हैं? क्या सिर्फ इसलिए कि वह कश्मीर विरोधी, भारत विरोधी तालिबान समर्थक बयान देते हैं। उनका कोई बड़ा व्यक्तित्व नहीं है। और न ही वह कोई राजनयिक हैं।
निष्कर्ष
आशा है आपको यह समझ में आ गया होगा। इस लेख में, हमने आपको गौतम गंभीर ने कहा, पाकिस्तान से बातचीत में धोखा मिला। के बारे मे बताया। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो।
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