Shaheed Diwas: जानिये भगत सिंह का बचपन का एक किस्सा, जिसको सुनकर आप भी रह जायगे दंग। यकीन नहीं होगा।
Bhagat Singh death anniversary: जिसे हम शहीद दिवस भी कहते है (Shaheed Diwas)। दुनिया भर में जब भी अपने देश के लिए जान कुर्बान करने वाले नौजवानों की बात आती है। तो शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह (Shaheed-e-Azam Sardar Bhagat Singh) का नाम सबसे पहले लिया जाता है।
अब हो भी क्यों ना? वे केवल 23 साल की उम्र में, जिस समय हमारे यहाँ बच्चे कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रहे होते हैं। और उस उम्र में उन्होंने अपने विचारों और अपनी भारत के लिए देशभक्ति के दम पर पूरी अंग्रेज़ी सरकार की जड़ें हिलाकर रख दी थी।
और आज के समय मे भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया भर में नौजवान शहीद भगत सिंह (Bhagat Singh) के जीवन से प्रेरणा लेते हैं। और साथ ही उन्हें अपना आदर्श भी मानते हैं। और भगत सिंह (Bhagat Singh) जैसा बनना कोई आसान काम की बात नहीं है।
इसके लिए हमें उनके बचपन को समझना बहुत ज्यादा ज़रूरी है। उनके बचपन से जुड़ा हुआ एक बहुत मशहूर किस्सा है। जो हर बच्चे को जानना और समझना ज़रूरी है।
यही किस्सा हमें यह बताता है कि, देशभक्ति का भाव हमारे अंदर सिर्फ बड़े होकर नहीं आता। बल्कि बचपन से ही इसका होना कितना ज़रूरी है।
एक बार की बात है। जब भगत सिंह (Bhagat Singh) के चाचा घर में एक बंदूक लेकर आए। और उन्होंने अपने चाचा जी से यह पूछा कि इससे क्या होता है? चाचा जी ने उन्हें बताया कि। वे इससे अंग्रेज़ी हुकूमत को दूर भगाएँगे।
फिर कुछ हे दिनों के बाद जब भगत सिंह (Bhagat Singh) अपने चाचा के साथ खेतों में काम करने गए तो उन्होंने ये देखा कि। उनके चाचा वहाँ एक आम का पेड़ लगा रहे थे।
तब शूरवीर भगत सिंह जी ने पूछा, "चाचा जी, यह क्या कर रहे हो?" उन्होंने कहा, "मैं आम का पेड़ लगा रहा हूँ। जिस पर बहुत से आम -से लगेंगे और हम सब खाएँगे।"
थोड़ी देर में चाचा का ध्यान बालक भगत सिंह की ओर गया। उन्होंने देखा कि बालक भगत सिंह (Bhagat Singh)छोटी-छोटी लकड़ियाँ खेत में गाड़ रहा था। चाचा जी ने पूछा, "तुम खेत में ये क्या गाड़ रहे हो?"
चाचा जी ने सोचा होगा - बच्चे का जवाब आएगा कि में खेल रहा हूँ। लकड़ियाँ गाड़ रहा हूँ। लेकिन बच्चे का उत्तर सुनकर वे, और पीछे खड़े परिवार के बाकी लोग भी हैरान रह गए।
भगत सिंह ने कहा था, "मैं बंदूकें बो रहा हूँ।"
चाचा जी ने फिर पूछा, "तुम जानते हो, इसका मतलब क्या है?"
भगत सिंह बोले, "हां मैं जानता हूँ कि हमारा देश भारत अभी गुलाम है, और हमें आज़ादी के लिए अंग्रेज़ों से लड़ने के लिए बहुत सारी बंदूकों की ज़रूरत पड़ेगी।
इसलिए में बंदूकें बो रहा हूँ। और जब बहुत सारी बंदूकें होंगी। तो हम सब अंग्रेज़ों से लड़ेंगे, और फिर उन्हें अपने देश से भगा देंगे।"
उस दिन भगत सिंह (Bhagat Singh) के चाचा जी और पिता जी ने ये तय किया था कि। बचपन में इस बच्चे के विचार ऐसे जबरदस्त क्रांतिकारी (tremendous revolutionary) है। तो हमें इसके पालन-पोषण में और इसकी गतिविधियों पर विशेष नज़र रखनी होगी।
ताकि इसके अंदर की ये प्रतिभा निखरकर आए। ये ऊर्जा कहीं और न बह जाए। बाद में फिर ऐसा ही हुआ। दुनिया भगत सिंह को जानती ही नहीं, पूजती भी है। आज भारत को भगत सिंह (Bhagat Singh) पर बहुत गर्व है।
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निष्कर्ष
आशा है आपको यह समझ में आ गया होगा। इस लेख में, हमने आपको Shaheed Diwas: जानिये भगत सिंह का बचपन का एक किस्सा, जिसको सुनकर आप भी रह जायगे दंग। यकीन नहीं होगा। के बारे मे बताया, अगर आपको यह लेख पसंद आया हो।
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