रूस संग भारत बना रहा हाइपरसोनिक मिसाइल।
अमेरिकी संसद में पेश की गई रिपोर्ट में दावा।
अमेरिकी संसद की स्वतंत्र रिपोर्ट में दावा किया गया है कि। भारत उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल है। जो हाइपरसोनिक यानी आवाज की रफ्तार से तेज मार करने वाले हथियार बना रहे हैं। अमेरिकी संसद की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है।
जब हाल में एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि। चीन ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल टेस्ट की है। जिसने अपने लक्ष्य से चूकने से पहले पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाया था।
चीन ने अपने इस परीक्षण से अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को हैरान कर दिया है। हालांकि चीन ने कहा कि। उसने हाइपरसोनिक वीइकल का टेस्ट किया है न कि। हाइपरसोनिक 'मिसाइल' का। स्वतंत्र 'कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने इस सप्ताह अपनी रिपोर्ट।
में कहा कि अमेरिका, रूस और चीन के सबसे आधुनिक हाइपरसोनिक हथियार कार्यक्रम हैं। लेकिन फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, भारत, जर्मनी और जापान समेत कुछ अन्य देश भी हाइपरसोनिक हथियार तकनीक डिवेलप कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका और भारत ने रूस के साथ इस संबंध में गठजोड़ किया है।
भारत ने हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-2 को विकसित करने के लिए रूस के साथ गठजोड़ किया है। हालांकि ब्रह्मोस-2 को शुरुआत में 2017 में तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन रिपोर्ट संकेत देती है कि। इस कार्यक्रम में काफी देर हो गई। और अब इसके लिए 2025 और 2028 के बीच का लक्ष्य तय किया गया है।
'आवाज से 6 गुना तेज स्पीड का टेस्ट'
सीआरएस ने कहा, ऐसा बताया जा रहा है कि। भारत हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी डिमॉन्स्ट्रेटर वीइकल प्रोग्राम (HTDVP) के तहत स्वदेशी, दोहरे रूप से सक्षम हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी तैयार कर रहा है। उसने जून 2019 और सितंबर 2020 के बीच मैक 6 यानी आवाज की 6 गुना रफ्तार से चलने वाले स्क्रैमजेट का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था।
अमेरिकी सांसदों के लिए तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि। भारत लगभग 12 हाइपरसोनिक विंड टनल का संचालन करता है। और आवाज की 13 गुना रफ्तार तक के टेस्ट में सक्षम है।
अमेरिका खुद 2007 से परीक्षण कर रहा।
ब्रिटिश अखबार 'फाइनैंशल टाइम्स' की खबर के मुताबिक, साल 2007 से ही अमेरिका ने हाइपरसोनिक तकनीक को विकसित करने के लिए 'हाइपरसोनिक इंटरनैशनल फ्लाइट रिसर्च एक्सपेरिमेंटेशन' (हाईफायर) कार्यक्रम पर ऑस्ट्रेलिया के साथ गठजोड़ किया है।
भारत की तरह, फ्रांस ने भी हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी के विकास के लिए रूस के साथ गठजोड़ और कॉन्ट्रैक्ट किया है। जापान 'हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल' और 'हाइपर वेलोसिटी ग्लाइडिंग प्रोजेक्टाइल' विकसित कर रहा है।
निष्कर्ष
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