भारत का कोयला संकट: कोयले की कमी ने घर निर्माण को और महंगा बना दिया।
भारत का कोयला संकट: देश में कोयला संकट कई उद्योगों के लिए समस्या बनता जा रहा है। दरअसल बिजली संकट को देखते हुए कोयले की आपूर्ति के लिए बिजली क्षेत्र को प्राथमिकता दी जा रही है।
इससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को कोयला नहीं मिल रहा है। और उनका उत्पादन प्रभावित हो रहा है। सीमेंट, तांबा, स्टील, एल्युमीनियम, और जस्ता सहित धातुओं ने उत्पादन में गिरावट के साथ अपनी कीमतें बढ़ाना शुरू कर दिया है।
मेटल एक्सचेंज पर कई धातुओं के दाम 13 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। रिकवरी की राह पर लौटने वाले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर कोयले का संकट भारी पड़ सकता है।
कोयले की किल्लत के बीच आयातित कोयले के दाम में 61 फीसदी का इजाफा हुआ है। इससे धातुओं के उत्पादन की लागत में तेज वृद्धि हुई है। इस्पात और तांबे सहित कई धातुएँ विनिर्माण उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनके प्रभाव से घर में इस्तेमाल होने वाली कई चीजों के दाम बढ़ सकते हैं।
ईंट भट्ठों में इस्तेमाल होने वाले कोयले की कीमत 7,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन से बढ़कर 22,000 रुपये हो गई है। यही कारण है कि देश के कई राज्यों में अभी तक इस सीजन में ईंट-भट्टे नहीं चल पाए हैं। इससे ईंट की कीमत भी 1500 से बढ़कर 1700 रुपए हो गई है।
कोयले के संकट से पहले ईंट की कीमत चार हजार रुपए प्रति 1000 पीस थी। जो अब छह हजार के करीब पहुंच गई है। इसके अलावा सीमेंट के दाम में भी इजाफा हुआ है।
घर बनाने के लिए स्टील, सीमेंट और ईंट की कीमत सबसे ज्यादा होती है। उनकी लागत के कारण लोगों के लिए घर बनाना महंगा हो गया है।
जानकारों का कहना है कि। अगर जल्द ही समस्या का समाधान नहीं किया गया तो समस्या बढ़ सकती है। उनका कहना है कि। कोरोना संकट के बावजूद स्टील समेत कई धातुओं के दाम पहले ही 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुके हैं।
अब कोयला संकट के चलते इनकी कीमतें नई ऊंचाई पर हैं। जिसका असर उपभोक्ताओं की जेब पर भी पड़ेगा। इसके अलावा बिजली संकट से फ्रोजन फूड इंडस्ट्री सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती है। बिजली कटौती के मामले में उद्योग डीजल जनरेटर पर भरोसा कर सकते हैं।
लेकिन डीजल महंगा होने से उनकी लागत में काफी वृद्धि होगी। इसके अलावा पोल्ट्री, मीट और डेयरी उद्योग को भी बिजली कटौती की स्थिति में ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
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