अगर बच्चा लेता है ड्रग्स, तो डाटिये मारिये मत। वरना बिगडेगी बात।
शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के ड्रग्स केस ने टीनेजर्स में बढ़ती ड्रग्स की आदत को सुर्खियों में ला दिया। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि सिर्फ आर्यन या अमीर तबके के बच्चे ही नहीं, बल्कि एक बड़ी संख्या में मिडिल क्लास बच्चे भी ड्रग्स की चपेट में हैं। यहां तक कि स्कूल जाने वाले कई बच्चे भी ड्रग्स का सेवन करते हैं। नशे की बात हो तो सिर्फ ड्रग्स ही नहीं, सिगरेट, शराब, तम्बाकू जैसे नशों ने भी युवाओं को अपनी चपेट में लिया हुआ है।
आसान पहुंच देती है बढ़ावा जब बात ड्रग्स की आती है।
तो सीधे तौर पर यह तो कह दिया जाता है कि। पैरंट्स ने ध्यान नहीं दिया या उनकी पैरंटिंग में कुछ कमी थी। मगर क्या सच में सिर्फ यही वजह है? ड्रग्स पेशेंट्स का इलाज कर रहे डॉक्टर्स का कहना है कि कई बार इसकी दूसरी वजहें भी होती हैं।
सीनियर सायकायट्रिस्ट डॉ. विपुल रस्तोगी कहते हैं। 'इसकी एक बड़ी वजह साथ वालों का दबाव। और कल्चर इशू भी है। दरअसल अब यह इतनी मात्रा में बढ़ गया है कि अगर कोई युवा नहीं करता है। तो उसे लगता है कि वह पीछे छूट गया है।
टीवी या जहां देखिए, ये देखने को मिलता है। अब अगर म्यूजिक पसंद युवा को विडियो में इंफ्लूएंसर्स या स्टार्स किसी तरह का नशा करते दिखेंगे। तो उसके लिए तो यह कूल बात होगी। फिर अब नशे की चीजें बहुत आसानी से उपलब्ध भी हैं। तो मुश्किल नहीं रहता। यही वजह है कि कई बार पैरंट्स के समझाने के बावजूद बच्चे इनकी चपेट में आ जाते हैं।
'तुलसी हेल्थकेयर के सीनियर कंसल्टेंट सायकायट्रिस्ट डॉ. गौरव गुप्ता कहते हैं। 'कई कार्यक्रमों में दिखाया जाता है कि। जो नशा करता है वह कामयाब होता है। या जो कामयाब है वह नशा करता है। इसका युवाओं पर असर पड़ता ही है। फिर कई देशों में नशे की कुछ चीजों को वैध किया गया है। बच्चे सोचते हैं कि जब दूसरे देश में वैध है तो ठीक ही होगा।'
आत्मविश्वास की कमी होना, असफलता, डिप्रेशन और जिनके परिवार में कोई नशा होता हो, वह युवा भी अक्सर ड्रग्स या अन्य किसी नशे की चपेट में आ जाते हैं। क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट और एटिकेट्स एक्सपर्ट प्रिया वारिक के मुताबिक हम हर चीज में मिलेनियल्स।
और उनके पैरंट्स को दोष देने लगते हैं। जबकि इसके कारण और भी व्यापक हैं। वह कहती हैं, 'हमारे अंदर एक कैमिकल होता है डोपोमिन जो खुशी लाता है। ये कैमिकल सोशल मीडिया से भी रिलीज होता है।
अब सोशल मीडिया की वजह से टीनेजर्स अपने हर काम के लिए बाहरी दुनिया का अप्रूवल चाहते हैं। जब ये अप्रूवल नहीं मिलता तो कमजोर पर्सनैलिटी वाले ड्रग्स लेने लगते हैं। जिससे उन्हें खुशी का अहसास होता है। घर में भी अब वैल्यू सिस्टम नहीं रहा तो बाहर का जो वैल्यू | सिस्टम है, बच्चे उन्हें ही फॉलो कर सकते हैं।
'हालांकि इन सभी वजहों के बावजूद बच्चों की लत में पड़े बच्चों में जो कॉमन पैटर्न नजर आते हैं। वह हैं पैरंट्स का बहुत बिजी रहना, पैरंट्स के बीच संबंध अच्छे ना होना। घर में अक्सर झगड़े होना और पैरंट्स का बच्चों पर ध्यान ना देना। इसलिए एक्सपर्ट्स इसमें पैरंट्स की भूमिका को भी बहुत अहम मानते हैं।
निष्कर्ष
आशा है आपको यह समझ में आ गया होगा। इस लेख में, हमने आपको अगर बच्चा लेता है ड्रग्स, तो डाटिये मारिये मत। वरना बिगडेगी बात। के बारे मे बताया, अगर आपको यह लेख पसंद आया हो।
तो, कृपया अपने दोस्त के साथ साझा करें। अगर आप नहीं समझे हैं। तो आप मुझे कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं। धन्यवाद।
Please do not enter any spam link in the comment box.