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तो तालिबान के लिए वरदान बन जाएगी अफीम की खेती।

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तो तालिबान के लिए वरदान बन जाएगी अफीम की खेती।

तो तालिबान के लिए वरदान बन जाएगी अफीम की खेती।

तो तालिबान के लिए वरदान बन जाएगी अफीम की खेती के बारे मे।

दुनियाभर में सबसे ज्यादा अफगानिस्तान में अफीम की खेती की जाती है। पूरी दुनिया को 80-90% अफीम यही से सप्लाई की जाती है। इस लिहाज से अगर देखा जाए तो तालिबान के लिए ड्रम्स पॉलिसी काफी अहमियत रखती है। यूएन के ड्रग एंड क्राइम ऑफिस में ड्रग रिसचर अंजा कॉरेन्ब्लिक ने अफगानिस्तान की ड्रग की दुनिया के बारे में कुछ दिलचस्प जानकारियां दी।

अफगान क्यों करते हैं अफीम की खेती?

जिन किसानों के पास आजीविका चलाने के लिए दूसरा कोई जरिया नहीं है उनके लिए अफीम की खेती करना आसान और अच्छा विकल्प बन जाता है। दूसरी फसलों को बाजार तक ले जाने में काफी परेशानी आती है। अफीम को खरीदने के लिए खुद ट्रेडर्स फार्म पर आ जाते हैं।

अफगान से हेरोइन खरीदता कौन है?

अफगानिस्तान कम या ज्यादा मात्रा में केवल अमेरिका को छोड़कर परी दुनिया में हेरोइन बेचता है। अमेरिका में यह मेक्सिको से सप्लाई होती है। कोलंबिया में भी खेती होती है। अफगानिस्तानी अफीम का मुख्य बाजार पश्चिमी यूरोप है।

तालिबान को क्यों है इसमें दिलचस्पी?

तालिबान अफीम की खेती पर टैक्स लगाकर उगाही करता है। गांवों में किसानों को अफीम की खेती पर करीब 6 फीसदी टैक्स देना होता है। आमतौर पर यह टैक्स कलेक्शन एक या दो अरब से ज्यादा का होता है।

2000 में तालिबान ने बैन कर दिया था।

अफीम की खेती साल 2001 में घटकर 8 हजार हेक्टेयर तक सीमित हो गई। 2000 में इसका दायरा 82 हजार हेक्टेयर तक फैला हुआ था। लेकिन समस्या का समाधान अच्छे के लिए नहीं हुआ था। अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण के बाद अवैध अर्थव्यवस्था को कम कर दिया गया था। अफगानिस्तान पर अमेरिकी अडवाइजर ने कहा कि अफीम यहां बड़ी इंडस्ट्री है।

निष्कर्ष

आशा है आपको यह समझ में आ गया होगा। इस लेख में, हमने आपको तो तालिबान के लिए वरदान बन जाएगी अफीम की खेती। के बारे मे बताया। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो।

तो, कृपया अपने दोस्त के साथ साझा करें। अगर आप नहीं समझे हैं। तो आप मुझे कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं। धन्यवाद।

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